Live-in Relationship और उससे जुड़े Legel Rights: क्या आपके बच्चे को संपत्ति में हक मिलेगा?

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में Live-in Relationship का चलन तेजी से बढ़ रहा है। बड़े शहरों के बाद अब यह छोटे शहरों में भी आम होता जा रहा है। शादी के बिना लड़के और लड़कियां एक साथ रह रहे हैं और इस रिश्ते में कई बार बच्चे भी जन्म ले रहे हैं। हालांकि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विवादित है, लेकिन कानूनी दृष्टि से लिव-इन रिलेशनशिप को कुछ हद तक मान्यता मिली है।

इस ब्लॉग में हम इस महत्वपूर्ण सवाल पर चर्चा करेंगे कि लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों के अधिकार क्या हैं? क्या ऐसे बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलता है? इसके अलावा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे।

लिव-इन रिलेशनशिप: क्या है कानूनी स्थिति? (Legal Status of Live-in Relationships)

लिव-इन रिलेशनशिप का सीधा मतलब है कि दो बालिग व्यक्ति बिना शादी के, अपनी मर्जी से एक साथ रह सकते हैं। भारतीय कानून में इसे अवैध नहीं माना गया है। हालांकि, इसे शादी की तरह पूर्ण सामाजिक मान्यता नहीं मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि यदि दो बालिग लोग अपनी मर्जी से एक साथ रह रहे हैं, तो यह गैरकानूनी नहीं है। इस रिश्ते में जन्मे बच्चों को “वैध” (legitimate) माना जाएगा और उन्हें वही अधिकार मिलेंगे, जो शादीशुदा जोड़ों के बच्चों को मिलते हैं।

क्या लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे संपत्ति के हकदार हैं? (Inheritance rights for children)

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों को अपने पिता की संपत्ति में वैध अधिकार मिलेगा। यह अधिकार वैसा ही होगा जैसा शादीशुदा जोड़े के बच्चों को मिलता है।

  • यदि बच्चा यह साबित कर देता है कि वह आपके खून से है, तो उसे आपकी संपत्ति का हिस्सा मिलेगा।
  • अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि “नाजायज” या “अनैतिक” संबंध से पैदा हुए बच्चे को भी संपत्ति का पूरा अधिकार होगा, बशर्ते वह पितृत्व साबित कर सके।

क्या लिव-इन रिलेशन में पार्टनर गुजारा भत्ता मांग सकती है? (Maintenance laws for live-in partners)

शादीशुदा संबंधों में तलाक के बाद पत्नी को गुजारा भत्ता या मेंटेनेंस का अधिकार होता है। लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप में यह स्थिति अलग होती है।

  • यदि लिव-इन रिलेशनशिप खत्म होता है, तो महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार नहीं होगा।
  • हालांकि, बच्चे के पालन-पोषण के लिए पिता को खर्च उठाना पड़ेगा।

लिव-इन रिलेशनशिप में कानूनी विवाद और चुनौतियां (Legal Challenges in Live-in Relationships)

लिव-इन रिलेशनशिप में कई बार कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:

  1. पितृत्व का दावा: यदि बच्चा पिता को पहचानता है और अदालत में इसे साबित कर देता है, तो पिता को बच्चे का कानूनी अधिकार देना होगा।
  1. संपत्ति विवाद: यदि पिता की संपत्ति पर अन्य वारिस दावा करते हैं, तो बच्चे को पितृत्व साबित करना जरूरी हो सकता है।
  1. सामाजिक विवाद: भारतीय समाज अभी भी लिव-इन रिलेशन को पूरी तरह से स्वीकार नहीं करता है, जिससे इसे सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ता है।

लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख फैसले (Supreme Court Rulings on Live-in Relationships)

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।

  1. यदि दोनों पार्टनर लंबे समय तक साथ रहते हैं, तो इसे “विवाह जैसा संबंध” माना जाएगा।
  1. लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों को पिता की संपत्ति में पूरा हक मिलेगा।
  1. पार्टनर को गुजारा भत्ता का हक नहीं होगा, लेकिन बच्चों के लिए यह अनिवार्य है।

लिव-इन रिलेशनशिप के फायदे और नुकसान (Benefits and Drawbacks of Live-in Relationships)

फायदे:

  • दोनों पार्टनर स्वतंत्र रूप से अपने जीवन के फैसले ले सकते हैं।
  • कानूनी रूप से इसे अवैध नहीं माना जाता।

नुकसान:

  • सामाजिक स्वीकार्यता की कमी।
  • कानूनी विवादों की संभावना अधिक।
  • बच्चों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता।

लिव-इन रिलेशनशिप भारतीय समाज और कानून दोनों के लिए एक जटिल विषय है। यह कानूनी रूप से मान्य है, लेकिन सामाजिक रूप से इसे अभी भी स्वीकार्यता नहीं मिली है। ऐसे रिश्तों में पैदा हुए बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

यदि आप लिव-इन रिलेशनशिप में हैं या इसके कानूनी पहलुओं को लेकर कोई सवाल है, तो आपको इन पहलुओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए। यह आपके और आपके बच्चों के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।

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